नक्सलियों का करतूत
नक्सली का मामला अब सिर्फ बात चित से हल होने वाला नहीं है अब नक्सलवाद व नक्सलवाद नहीं रहा उनकी लराई बदल चुकी है. नक्सली लोगो के पास वैचारिक लराई तो बिलकुल ही नहीं रहा. अब सिर्फ लोगों को नुकसान पहुचना ही इनका मकसद बन गया है. कुच्छ दिन पहले का वाकया को ध्यान करें तो सब स्पष्ट हो जाता है. इस का मुकमल उपाए भी सोचना होगा. हम सब को प्रयास करना होगा की लोग खुल कर सामने आयें और नक्सलियों के विषय में प्रशासन को बतावें.पूरा पालीगंज इलाका के लोग नक्सलवादी लोगों से प्रेषण हैं. उनका सुध लेने वाला भी कोई नहीं है. पिचले कई वर्षो का इतिहास उठा ले तो पाएंगे की 1993 मै मौरी गाँव में नक्सली लोगों ने ललन तिवारी का घर को खलिहान बनादिया. लेकिन सरकार सोती रही. आखिर लोग करे तो क्या करें ?1993 से ललन तिवारी का परिवार दर - दर की ठोकरें खाते रहे . वे सरे लोग दुसरे जगह जा कर रहने लगे. उनका आज भी घर खलिहान की तरह ही दिखता है. घर अब जमींदोज हो चूका है. गर में अब बड़ी-बड़ी झाड़ियाँ उग गई हैं. कभी कभी उनका परिवार गाँव आता है पर कोई पहचानता कोई नहीं, इतने पर भी नक्सलियों से रहा नहीं गया उन लोगो ने उनका हरा भरा तीन पेड़ काट लिए, पुचने पर उन लोगों का जबाब था " जरुरत थी तो काट लिया क्या कर लीजियेगा गा ? " इसका क्या जबाब हो सकता है ? जिरह करने पर यह धमकी मिलता है की जन से भी जाओगे.
इस आतंक को कौन ख़त्म करेगा ?
aap ka jabab nahin.naksaliyon dvara kiya ja raha is atya char ko jan kar dukha hua.
जवाब देंहटाएंmere hishab se un per skhat karvai hona chahiye.
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